परिभाषा (Definition):
प्रकार (Types):
बाइपोलर I डिसऑर्डर:
इसमें कम से कम एक पूर्ण मेनिक एपिसोड होता है, जो अवसाद के एपिसोड के साथ या बिना हो सकता है।
बाइपोलर II डिसऑर्डर:
इसमें हाइपोमेनिक एपिसोड और कम से कम एक प्रमुख अवसादग्रस्त एपिसोड होता है, लेकिन पूर्ण मेनिया नहीं।साइक्लोथाइमिक डिसऑर्डर:
हल्के हाइपोमेनिक और अवसादग्रस्त लक्षणों की लंबी अवधि (कम से कम 2 वर्ष)।
अन्य निर्दिष्ट और अनिर्दिष्ट बाइपोलर विकार:
ऐसे लक्षण जो ऊपर दिए गए प्रकारों में पूरी तरह फिट नहीं होते।
कारण (Cause):
बाइपोलर डिसऑर्डर का कोई एकल कारण नहीं है। यह कई कारकों का संयोजन हो सकता है:आनुवंशिक (Genetic): परिवार में बाइपोलर डिसऑर्डर का इतिहास होने से जोखिम बढ़ता है।न्यूरोकेमिकल असंतुलन: मस्तिष्क में सेरोटोनिन, डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर में असंतुलन।पर्यावरणीय कारक: तनाव, आघात, नशीली दवाओं का उपयोग, या जीवन में बड़े बदलाव।मस्तिष्क संरचना: मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में असामान्यताएँ।
रोगजनन (Pathogenesis):
बाइपोलर डिसऑर्डर मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर (जैसे डोपामाइन, सेरोटोनिन) के असंतुलन और मस्तिष्क के भावनात्मक नियंत्रण वाले क्षेत्रों (जैसे प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स, अमिग्डाला) में असामान्य गतिविधि के कारण होता है।आनुवंशिक प्रवृत्ति और पर्यावरणीय तनाव मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं, जिससे मूड में अत्यधिक बदलाव होते हैं।तनाव हार्मोन (जैसे कोर्टिसोल) भी मूड को प्रभावित कर सकते हैं।
जोखिम कारक (Risk Factors):
पारिवारिक इतिहास: माता-पिता या भाई-बहन में बाइपोलर डिसऑर्डर या अन्य मानसिक बीमारी।तनावपूर्ण जीवन घटनाएँ: नौकरी छूटना, किसी प्रियजन की मृत्यु, या रिश्तों में समस्याएँ।मादक द्रव्यों का सेवन: शराब, ड्रग्स या नशीली दवाओं का दुरुपयोग।नींद की कमी: अनियमित नींद या नींद की कमी मेनिक एपिसोड को ट्रिगर कर सकती है।आयु: आमतौर पर किशोरावस्था या 20-30 वर्ष की आयु में शुरू होता है।
जटिलताएँ (Complications):
आत्महत्या का जोखिम या आत्मघाती विचार।नशीली दवाओं या शराब का दुरुपयोग।सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों में समस्याएँ।कार्यस्थल पर प्रदर्शन में कमी।अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ जैसे चिंता विकार या ADHD।शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएँ जैसे हृदय रोग या मधुमेह (दवाओं के दुष्प्रभाव के कारण)।
लक्षण (Symptoms):
मेनिया/हाइपोमेनिया के लक्षण:अत्यधिक उत्साह, ऊर्जा, या चिड़चिड़ापन।तेजी से बोलना, विचारों का दौड़ना।कम नींद की आवश्यकता।जोखिम भरे व्यवहार (जैसे अत्यधिक खर्च करना, खतरनाक ड्राइविंग)।आत्मविश्वास में असामान्य वृद्धि।अवसाद के लक्षण:उदासी, निराशा, या खालीपन का अनुभव।ऊर्जा की कमी, थकान।नींद में बदलाव (ज्यादा या कम नींद)।भूख में बदलाव, वजन बढ़ना या घटना।आत्मघाती विचार या व्यवहार।
निदान (Diagnosis):
मनोचिकित्सक मूल्यांकन: एक मनोचिकित्सक या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ लक्षणों, चिकित्सा इतिहास और परिवार के इतिहास का मूल्यांकन करता है।DSM-5 मानदंड: डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैनुअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर्स (DSM-5) के आधार पर निदान।शारीरिक जांच और टेस्ट: अन्य चिकित्सा कारणों (जैसे थायरॉइड विकार) को बाहर करने के लिए रक्त परीक्षण या इमेजिंग।मूड चार्टिंग: मूड और व्यवहार के पैटर्न को ट्रैक करना।
उपचार (Treatment):
दवाएँ (Medications):**मूड स्टेब彼此: लिथियम, वैलप्रोएट, कार्बामाज़ेपिन, लैमोट्रीजिन।एंटीसाइकोटिक्स: ओलानज़ापिन, क्वेटियापिन, रिसपेरीडोन।एंटीडिप्रेसेंट्स: चयनात्मक रूप से, अवसाद के लिए।एंटी-एंग्जायटी दवाएँ: जैसे लोराज़ेपम, चिंता या अनिद्रा के लिए।नोट: दवाएँ हमेशा डॉक्टर की सलाह से लेनी चाहिए।
मनोचिकित्सा (Psychotherapy):
कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT): नकारात्मक सोच को प्रबंधित करने में मदद।पारिवारिक चिकित्सा: परिवार के समर्थन को बढ़ाने के लिए।साइकोएजुकेशन: बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए।जीवनशैली में बदलाव:नियमित नींद और दिनचर्या।तनाव प्रबंधन तकनीक जैसे योग, ध्यान।शराब और ड्रग्स से बचाव।
अन्य उपचार:
इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थेरेपी (ECT): गंभीर मामलों में, विशेष रूप से आत्मघाती विचारों के लिए।ट्रांसक्रानियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (TMS): कुछ मामलों में।